लोगों की ये भ्रामक मान्यता है कि
जैन धर्म में लक्ष्मीजी को नहीं पूजा जाता.
क्योंकि कुछ जैनी दिवाली के दिन सिर्फ
“महावीरभगवान” की पूजा करते हैं
और “लक्ष्मीजी” की पूजा नहीं करते.
यह सही है कि जैन धर्म में तीर्थंकरों
से ऊपर कोई भी देव नहीं है.
और ये तीर्थंकरदेव भी “मनुष्य” हैं,
देवलोक में रहने वाले देव नहीं.
प्रश्न उठता है कि जैनी
लक्ष्मीजी की पूजा करें या नहीं?
इसका उत्तर है :
“हर तीर्थंकर” की माता को “च्यवन” के समय
4थास्वप्न लक्ष्मीजी का आता है.
और ये अनादि काल से चला आ रहा है.
एक बार भी इसमें चूक नहीं हुई है.
और उन “सपनों जी” की बोली हम बड़े उल्लास से
“भगवान के च्यवन कल्याणक” के समय मनाते हैं
और उस दिन प्राय: लक्ष्मीजी की बोली की ही बड़ी चर्चा रहती है.
हर्ष के अतिरेक में हम उस दिन को
“जन्म कल्याणक” जैसा ही मनाते हैं.
कारण है :
उस समय पर्युषण के दिन होते हैं
और
सभी धर्म आराधना में डूबे हुए होते हैं.
आप को जान कर आश्चर्य होगा की “सूरिमंत्र”
की पांच पीठ में से तीसरा स्थान
“श्री महालक्ष्मी” का होता है
और
इसकी आराधना भी “आचार्य भगवंत” करते हैं.
आप शंका कर रहे होंगे की “उन्हें” लक्ष्मीजी प्रसन्न हों ऐसा क्यों चाहिए?
इसका उत्तर ये है कि “संघ” में हर प्रकार से समृद्धि हो.
किसी भी मंत्र में जब “श्रीं” का प्रयोग होता है
तो वो “लक्ष्मी प्राप्ति
अर्थात
सौभाग्य-ऐश्वर्य-समृद्धि के लिए ही होता है.
जैन श्रावक तो मात्र मोक्ष के अभिलाषी होते है
फिर उन्हें समृद्धि क्यों चाहिए?
जैन धर्म में पहला ज्ञान “मति ज्ञान” है.
और “व्यावहारिकबुद्धि” ये कहती है कि
जहाँ आर्थिक संकट हो,
वहां पर मन प्रसन्न नहीं रह सकता.
और प्रसन्न मन के बिना तीर्थंकरों की
भक्ति नहीं हो पाती.
इसका एक कारण और भी है.
तीर्थंकरों के समवसरण में देवलोक से
देवता भी आते है और
समवसरण की रचना भी वही करते हैं.
“मनुष्य” योनि बड़ी “उत्साही” होती है.
“देवों” का ऐश्वर्य देखकर उन्हें भी इच्छा होती है
कि वे भी “भगवान” के जन्म-कल्याणक और पूजन
श्रेष्ठ द्रव्यों से करें.
इसके लिए “धन” की आवश्यकता होती है.
चूँकि तीर्थंकरों का सान्निध्य ही “पुण्य” को प्रबल करता है
इसलिए श्रावकों की “इतनी” इच्छा तो पूरी होती ही है.
यदि विश्वास ना हो,
तो कभी जैन मंदिर की प्रतिष्ठा के पूरे महोत्सव को
अपनी आँखों से देख लो
कि वो कितने ठाठ से मनाया जाता है. .
(हर शिखरबन्द मंदिर में या तो उसके प्रवेश द्वार पर या गर्भ गृह के ऊपर
आपको लक्ष्मीजी की मूर्ति दिखाई देगी ही –
मानो वो अपना आशीर्वाद हम पर ऊपर से बरसा रही हो )