जैन मन्त्रों की सहायता से बिज़नेस लॉस रोकें-2

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जैन मन्त्रों की महिमा : ऋण मुक्ति और अशुभ कर्म झटके से तोडना

1.  नवकार महामंत्र  की पूरी एक माला शुद्ध मन से गुणे. “सव्वपावपणासणो” पर ज्यादा जोर दें और ये फील करें कि “पापों” का नाश हो रहा है.

“पाप” के उदय में आने से ही व्यापार में जोरदार “झटका” आता है. सबसे अच्छा तो ये रहेगा कि जैसे ही लगे कि कहीं पैसा “फंस” सकता है, तुरंत ही “नवकार” की सिर्फ एक माला (ज्यादा ना बढ़ाएं- कोई कुछ भी क्यों ना कहे). क्योंकि जब पैसा “फंसा” हुआ हो तो ऐसे भी “चित्त” जल्दी से “स्थिर” नहीं रहता. शुरुआत में चित्त स्थिर ना भी रहे, तो भी चिंता ना करें. (ये चिंतन करें कि अभी धंधा भी स्थिर नहीं है इसलिए चित्त भी स्थिर नहीं है, जिस दिन चित्त स्थिर हो जाए, तो समझ लेना कि “नवकार” सिद्ध हो गया है और “परेशानी” टलने वाली है.
विशेष:- कई बार “दूसरा” धंधा सेट होने लगता है, ऐसे प्रपोजल आ सकते हैं. उन्हें स्वीकार करें और अपनी “बुद्धि” का इस्तेमाल ना करें. (बुद्धि से तो धंधा करके नुक्सान ही किया है ना!).  इसे नवकार का ही  प्रभाव समझे.

 

नवकार महामंत्र के बारे में विस्तार से वर्णन साइट पर पहले ही किया गया है.

2. जिन्हें उवसग्गहरं स्तोत्र पर ज्यादा श्रद्धा है, वो पार्श्वनाथ भगवान की तस्वीर/मूर्ति के सामने ही ऐसे गुनें. सिर्फ तीन बार! इससे अधिक नहीं.
इसमें भी “उवसग्गहरं” बोलने के साथ ही ऐसा फील करें कि “बाधा” हट रही है. उवसग्गहरं के बारे में विस्तार से वर्णन साइट पर पहले ही किया गया है. .

 

3. नमुत्थुणं सूत्र का “उच्चारण” (मन में नहीं – स्पष्ट बोल कर ) दिन में कुल तीन बार करें.
या तो एक साथ तीन बार पढ़ लें  या फिर दिन में तीन बार अलग अलग समय पर करें. अच्छा यही रहेगा कि तीन बार एक साथ ही पढ़ लें.
स्वयं को “इन्द्र” माने. यदि ये “भाव” आ गए तो समझ लेना “वैभव” की कोई कमी नहीं रहेगी. बिज़नेस लॉस की बात तो बहुत दूर हो जायेगी.
ये सूत्र उन्हें तुरंत फल देगा तो जिन-मंदिर में पूजा करते हैं और चैत्यवंदन भी करते हैं.
नमुत्थुणं सूत्र के बारे में भी साइट पर विस्तार से लिखा जा चुका  है

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