धन्य जैन धर्म :
ये फोटो किसी दुल्हन की नहीं
जो सोलह श्रृंगार किये लग्न की वेदी पर जाने के लिए तैयार है
“मोक्ष” रुपी “वर” को प्राप्त करने के लिए
ये फोटो दिक्षार्थी ऋद्धि बहन की है.
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बड़े बड़े जैन सम्प्रदाय चलाने वाले जैन ठेकेदार
“काल” की दुहाई दे कर अपने शौक के लिए
आलू-प्याज-लहसुन और रात्रि भोजन तक छोड़ नहीं सकते.
और उन होटलों में भी जाने को तैयार हैं
जो इस दावा करते हैं कि
वहाँ “वेज” और “नॉन-वेज” की किचन अलग-अलग हैं.
जबकि सच्चा जैनी तो सूखी सब्जी में
लिलोतरी सब्जी का चम्मच भी डाल दे
तो वो उसके लिए अभक्ष्य हो जाता हैं.
कितना सूक्ष्म जैन धर्म और
कितनी हलकी सोच धर्म के ठेकेदारों की!