“उवसग्गहरं” स्तोत्र
मात्र उपसर्ग ही नहीं हरता है
बल्कि ये सब कुछ इच्छित देने में समर्थ है.
जो इसे रोज मात्र एक बार
या
महीने में एक ही दिन 27 बार गिनते हैं.
उनका पूरा महीना अच्छा जाता है.
- “गुणना” मतलब १*२*३*४*५*६*७*८*९*……..= !!!
(हर मंत्र पूरा करने के बाद अपने भावों को अभी तक जो गुणा है, उसे multiply करें –अच्छे से उत्तम की ओर,उत्तम से श्रेष्ठ की ओरवश्रेष्ठ से श्रेष्ठतम की ओर ). - जिस दिन स्वयं को लगे कि अब “बहुत अच्छा” जाप होने लगा है,तो समझ लेना मंत्र सिद्धि या तो हो चुकी है…..या होने वाली है.पढ़ते रहें:jainmantras.com