जीवन में हर प्रकार की
१. समृद्धि,
२. शांति,
३. मान-सम्मान,
४. जिन भक्ति और
५. सम्यक्त्त्व
“प्राप्त” करने के लिए रोज
“नमुत्थुणं” का एक पाठ करना
“पर्याप्त” है.
विशेष :
नमुत्थुणं का पाठ जिन मंदिर या
अपने घर-मंदिर में किसी भी
तीर्थंकर की प्रतिमा (मूर्ति)
के सामने करें.
इससे पहले मन वचन और काया की शुद्धि के लिए
३ “नवकार गिने.”
मेरा स्व-अनुभव है.
नमुत्थुणं के बारे में jainmantras.com में
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