आने वाला “जीवन” मंगलमय करें इस दिवाली से.

दिवाली के पर्व पर शुभ मुहूर्त्त में :
(शुभ मुहूर्त्त वही है जिस समय आपका  मन प्रसन्न होता है, मुहूर्त्त चला जा रहा है, मात्र इस कारण “घर” में अशांति ना फैलाएं).

पहले भगवान महावीर की पूजा करें.
फिर
१ भगवती सरस्वती,
२. माँ लक्ष्मी और
३. गणीपिटक  यक्ष (गणेश)
४. गौतम स्वामी
की पूजा करें.

 

पूजा विधि वही रखें तो आज तक आपके कुल में चली आ रही है.

फिर :

दिवाली का जाप : 5 माला

श्री महावीर भगवान की फोटो या मूर्ति  के सामने:

ॐ तारे तारे वीरे
ॐ तारे वीरे वीरे
ह्रीं फट_ स्वाहा ||

ये मंत्र चौदह पूर्व का सार है.

(जो वर्षों से अन्य मंत्र का जाप कर रहे हों, उन्हें जाप बदलने की आवश्यकता  नहीं है यदि वो जाप गुरुओं ने दिया है).

 

फिर :

ॐ ह्रीं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वती मम जिव्हाग्रे वासं कुरु कुरु स्वाहा ||

मात्र एक माला (आज से शुरू करें और रोज गुनें).

इस मंत्र का जाप रोज करें. फिर कभी ये कहने की जरूरत नहीं होगी कि “क्या करें, परिस्थिति ऐसी है कि “बुद्धि” काम ही नहीं करती.” 🙂

फिर :

ॐ श्रिये!
श्रीकरि!
धनकरि!
रत्नवर्षिणी
स्वाहा ||

 

(यदि घर में रत्नों के आभूषण हों (डायमंड नेकलेस, अंगूठी, इत्यादि)

तो “घर की लक्ष्मी” उस दिन अचूक पहनें और पहने हुवे ही इस मंत्र का जप करें).

“पुरुष” भी इस मंत्र का जाप करें – हीरे या अन्य रत्नों की अंगूठी पहनकर

मात्र एक माला (आज से शुरू करें और रोज गुनें – समृद्धि रोज चाहिए या नहीं)?

फिर :

ॐ ह्रीं श्री गणीपीटक यक्ष्याय  नमः ||  

इसका मंत्र जप सिर्फ पुरुष ही करें – १ माला.

 

फिर :

ॐ ह्रीं श्रीम् गौतमाय सर्व लब्धि निधानाय ॐ ह्रीं नमः ||

१ माला.

जप पूरा होने पर मन में बड़ा “आनंद” मनाये.
ये ना सोचें कि “चलो, जाप पूरा हो गया.”
इससे जो रिजल्ट मिलना चाहिए, वो मिलेगा नहीं.

 

प्रभु महावीर के शासन में,
इस काल में,
गुरुओं की उपस्थिति में,
ये “भक्ति” हम कर पाये
क्या ये अतिआनंद का विषय नहीं है?

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