जिनकी “ग्रह दशा” बिगड़ी है, उनके लिए जैन मंत्र ये है

कई लोग ज्योतिषी को पूछते हैं कि

देखो तो महाराज, मेरी दशा कैसे चल रही है.

 

“महाराज” को पता है कि जिनकी दशा खराब चल रही है,

वो ही उनके पास आते हैं.

 

सिंपल!

 

लोग प्रश्न भी “गलत” पूछते हैं.

क्योंकि “प्रश्न” पूछना कभी सीखा ही नहीं.

स्कूल-कॉलेज तक “उत्तर” देना ही सीखा है.

 

ये तो हुई कुछ इधर उधर की बात!

 

अब मतलब की बात ये है कि

 

“दशा” बिगड़ी क्यों?

 

उत्तर है : “दिशा” “सही” नहीं है.

………………………….

 

जिनकी “ग्रह दशा” बिगड़ी है,

उनके लिए जैन मंत्र ये है :

 

ॐ ह्रीं श्रीं

ग्रहाश्चन्द्र

सूर्यांगारक

बुध

वृहस्पति

शुक्र

शनैश्चर

राहु

केतु

सहिताः खेटा:

जिनपति पुरतोsव

तिष्ठन्तु

मम

धन धान्य

जय विजय

सुख सौभाग्य

धृति कीर्ति

कांति शान्ति

तुष्टि पुष्टि

बुद्धि लक्ष्मी

धर्मार्थ कामदाः

स्यु: स्वाहा ||

 

ये मंत्र “चौबीसी” के फोटो के सामने मात्र रोज १२ बार जपें.

 

मंत्र पढ़ते समय एक एक शब्द जोर से स्पष्ट बोलें

और वो भी बड़े आत्मविश्वास के साथ!

 

अपनी “बुद्धि” को किनारे रखें

जो ये “सोचती” है कि “जपने” से क्या होगा?

 

“बुद्धि” से जिन बातों का हल नहीं निकलता है,

“मंत्र-विज्ञान” वहीँ से शुरू होता है.

 

जब तक “बुद्धि” से काम निकलता हो,

वहां “जप” की जरूरत नहीं है.

 

हाँ, जप से “प्रभाव” जरूर बढ़ेगा.

और लोग “भाव” भी देंगे.

 

ये मंत्र विशेषतः तब फायदेमंद है जब सब उपाय कर के थक गए हों.

(ऐसा “जन्म कुंडली” गलत होने के कारण हो सकता है).

उपरोक्त मंत्र गिनने के बाद, कैसी भी ख़राब “दशा” क्यों ना हो,

उनकी “दिशा” बदल जाती है.

 

जिन्हें मंत्र जपने में मन की स्थिरता ना हो,

 

वो सिर्फ “पार्श्वनाथ भगवान” की पूजा करें और

भगवान के “न्हावन” को –

 

१. शरीर में कहीं रोग या पीड़ा है, तो उस स्थान पर “न्हावन” एकदम टच भर करें.

२. घर में अशांति है, तो एकदम थोड़ा “न्हावन” घर पर ले जाएँ और

घर के मुख्य द्वार की दहलीज पर छिड़क दें.

३. भाग्य साथ ना देता हो तो “न्हावन” “सर” पर लगायें.

४. बिज़नेस में नुक्सान हुआ हो तो कारण जानें .

जैसे १. माल नहीं बिकता, २. कलेक्शन रुक गया है, ३. माल चोरी हो जाता है,

४. माल खराब हो जाता है, ५. सरकार के नोटिस वगैरह की समस्या है….इत्यादि

 

ये सब समस्याएं “आम” हैं.

 

इनका “एकदम ख़ास” निवारण :

रोज भगवान की “केशर-चन्दन पूजा” और “न्हावन” का प्रयोग करने से हो जाता है.

ये सारी समस्याएँ १,२,३,६,१२ और ज्यादा से ज्यादा १८ महीनों में सोल्व हो जाएंगी.

 

(समय में ये अंतर आपके भावों पर निर्भर है, जितनी आपकी “उत्कृष्ट भक्ति” उतना जल्दी “पॉजिटिव रिजल्ट)!”

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