श्रावकों को इधर उधर भटकना बंद करके
जैन मंत्रों पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए.
ये मनुष्य भव ही है जिसमें उत्कृष्ट साधना करते हुवे जीवन सुख पूर्वक जी सकते हैं.
जिन शासन में ऐसी व्यवस्थायें की गई हैं कि श्रावक कर्मों का क्षय करते हुवे निर्बाध रूप से मोक्ष में जाना निश्चित कर सकता है.
योग्य गुरुओं का आश्रय लेकर अपने जीवन को सुख से भोगें भी. पर याद रहे वास्तविक सुख प्रभु भक्ति के अलावा कहीं नहीं है, बाकी जगह सुख का आभास मात्र है जो दूसरों पर आश्रित है, यदि वो नाराज हुवे तो अपना सुख भी हुआ अपने से नाराज!
Jainmantras.com