Jainmantras.com द्वारा प्रसारित अकेले लघु शांति ने हज़ारों लोगों को जैन धर्म के प्रति जाग्रति दी है और चैन की नींद भी!

Jainmantras.com ग्रुप की शुरुआत में सभी को पांच सूत्र रोज करने को कहा है, ताकि श्रावक अपना जीवन सुखमय और धर्ममय कर सकें.

इन सबके लिए कोई भी एक सूत्र जैसे नवकार अकेला ही बहुत है. उसका एक ही पद भी!

Jainmantras.com द्वारा प्रसारित अकेले लघु शांति ने हज़ारों लोगों को जैन धर्म के प्रति जाग्रति दी है और चैन की नींद भी!

एक और उदाहरण : 17-8-2020 का मैसेज

Pranam🙏🏻
Jai jinendra🙏🏻
Me sohil puna se
Mene apse march me baat ki thi..
Mera financial ,marriage aur ghar ke personal issues the..
Apne muje laghu shanti ka stotra sunne kaha..
Meri shadi pichle mahine he hui..aur baki sab chize bhi dhire dhire sudhar rahi hai..

Apka bhot dhanyavad🙏🏻
Jai adinath🙏🏻

इसलिए सभी सदस्यों से अनुरोध है कि धर्ममय जीवन बनाएं, सुख अपने आप बरसने लगेगा.

क्योंकि घोर दुःख आता ही तब है जब पुण्य का बैलेंस शून्य हो.

ये पुण्य का बैलेंस अधिष्ठायक देवी देवता बढ़ा नहीं सकते, कई बार तो उनकी घर में साक्षात उपस्थिति हो तो भी वो कुछ कर नहीं पाते. क्योंकि इनको मंत्रों से बाँधा जा सकता है.

सिर्फ़ अरिहंत ही ऐसे देव हैं जो देवों के भी देव हैं. उन्हें किसी भी मंत्रों से कोई बाँध नहीं सकता. जब कि ये देखने में आया है कि एक शिष्या ने अपने गुरु को भी बाँध रखा है, एक आचार्य को उनके शिष्यों ने! सिर्फ गुरुओं को ही समर्पित व्यक्तियों के लिए ये एक चेतावनी जैसा है.

अरिहंत के स्मरण मात्र से पुण्य जाग्रत होता है पर इतना भी बुद्धि में तब घुसता है जब थोड़ा पुण्य बचा हो.

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