धन्य है धन्य !!
९३ वर्षीय संघनायक
लब्धिधारी श्री राजतिलकसूरी जी!
वर्षीतप अपने आप में दुष्कर है,
और ये महातपशिरोमणि
वर्षीतप अठ्ठाई से कर रहे हैं.
(उम्र मात्र ९३ वर्ष है).
मतलब एक अठ्ठाई, फिर पारणा,
फिर अठ्ठाई, फिर पारणा
ऐसा पूरे वर्ष चालू है.
पारणे के दिन स्वयं गोचरी जाते थे और
अब भी जाने के लिए तैयार है
पर उनके शिष्य जाने नहीं देते.
पिछले वर्ष उनके सर से
१.५ किलो वासक्षेप बरसी
(उसमें से कुछ मेरे पास आई है).
जो हाज़िर थे उन्होंने दर्शन किये.
(उनकी सेवा में धर्म का कोई पहरेदार नहीं होता
और
इसलिए भक्तों को उनके दर्शन करने से
कोई रोकने वाला नहीं हैं).
उन्होंने इस घटना के कोई फोटो नहीं लेने दिए.
कारण?
बड़े नाम की “भूख” जो नहीं है.
(“भूख” होती तो “वर्षीतप” थोड़े ही करते)!!