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एक चिंतन : “मेरा अपना”

एक चिंतन : “मेरा अपना”
“मेरा अपना” का अर्थ गूढ़ रूप से समझने के लिए कुछ बातें.
मेरा अपना मतलब- “मेरा”. राइट?
“मेरा” मतलब : “अपना”
यानि “अपना” मतलब : “मेरा.” ओके?
अब जरा आगे बढ़ें:
ये “मेरा” कहने वाला कौन है?
उत्तर है “मैं”.
यानि “मैं,”
मेरे बारे में बात कर रहा हूँ!
और अपनों के बारे में बात कर रहा हूँ.
यानि “मैं” और “मेरे अपने” एक नहीं हैं.
अपनों से तो मेरा सम्बन्ध है.
तो क्या “मेरा” खुद से कोई सम्बन्ध नहीं है?
उत्तर है : है.
परन्तु हमने अभी उसे “स्पर्श” नहीं किया है.
अरे! अच्छी तरह से जाना भी नहीं है.

प्रैक्टिकल समझने के लिए १० सेकंड के लिए आँखें बंद करें.
आँखें बंद करने पर अपने “नाम” के “व्यक्ति” को जरा “खुद” ही ढूंढें.
यदि आपका नाम “सत्य-प्रकाश” है तो भी आपको अभी “खुद” नज़र नहीं आएंगे.
अभी तो “अँधेरा” दिख रहा होगा, “प्रकाश” का नामो निशान नहीं दिखता होगा !
ये कैसा “सत्य” है और कैसा “प्रकाश?”

अब आगे बढ़ें:
कन्फर्म (confirm) हो गया की आपका नाम “सत्य-प्रकाश” हैं
परन्तु ये नाम “व्यावहारिक जगत” के लिए है.
आप दूसरों से “भिन्न” (different) हैं, इसलिए सरलता से पहचानने के लिए ये “नाम” है.
यदि आप दूसरों से “भिन्न” हैं,
तो आप के अलावा जितने भी दूसरे हैं, वो “अपने” कैसे हुवे?
अब जरा चिंतन करें और दूसरों (या फिर अपनों ) को भी इस पर चिंतन करने के लिए कहें.

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