किसी ने पूछा कि “तप” करने से कर्म कटते हैं. उस से “आत्मा” प्रकाशित होती है. तो फिर उसका पता कैसे चले कि आत्मा हलकी हुई है या कर्म मुक्त हुई है
जैन स्तोत्र और सूत्र·1 min readउवसग्गहरं महा प्रभाविक स्तोत्र का मूल मंत्र : “नमिउण पास विसहर वसह जिण फुलिंग”
जैन धर्मजैन स्तोत्र और सूत्र·1 min readभक्तामर स्तोत्र में “सूर्य” का वर्णन बार बार क्यों आया है? भाग -1
जैन मंत्र, यन्त्र, तंत्र और ज्योतिषजैन स्तोत्र और सूत्रविविध·1 min read“मंत्र साधना काल” में खुद की सुरक्षा – “मन्त्रों” से ही!
जैन संस्कारजैन धर्म·1 min readकिसी ने पूछा कि “तप” करने से कर्म कटते हैं. उस से “आत्मा” प्रकाशित होती है. तो फिर उसका पता कैसे चले कि आत्मा हलकी हुई है या कर्म मुक्त हुई है