प्रभु दर्शन

सवेरे सवेरे प्रभु दर्शन क्यों करें?

जैसा हम रोज देखते हैं, वैसे ही विचार भी आते हैं.
रोज सवेरे सवेरे “चोर” और “डाकुओं” को कौन देखना चाहेगा?
(पूरे दिन में भी कोई देखना नहीं चाहेगा).

फिर भी हम रोज सवेरे सवेरे “न्यूज़ पेपर” पढ़ना चाहते हैं.
कइयों को तो “चाय” का मजा भी नहीं आता
जब तक चाय पीते के साथ में पेपर नहीं पढ़ रहे होते हैं.

 

न्यूज़पेपर के पहले ही पेज से हत्या, लूट, खसोट, बईमानी,
इत्यादि के समाचार बड़े अक्षरों में छपे मिलते हैं.

इसका हमारे मन पर बड़ी ख़राब प्रभाव पड़ता ही है.

जैन धर्म में इससे बचने के लिए बड़ी सरल विधि बताई है:

उठते ही सबसे पहले भगवान् के दर्शन करें.
उनके अनन्त गुणों की स्तुति करें.
“उनके जैसा” बनने की प्रार्थना करें.
जैन धर्म में व्यक्ति “भगवान्” बन जाये,
ऐसी व्यवस्था भी की गयी ही है.

परन्तु “भगवान्” बनने के लिए कोई “दर्शन” नहीं करने हैं.
पहले “शुद्ध” होने की प्रार्थना करनी है.

यदि हम “शुद्ध” हो गए,
तो समझो “भगवान्” जैसे बन ही गए !

परन्तु याद रहे, ये इतना सरल नहीं है.
“सम -भाव” में स्थित रहना
कोई “मजाक” नहीं है.

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