इस “प्रतिमाजी” के “दर्शन” करने के बाद
कोई नास्तिक भी ये नहीं कह सकता
कि “मूर्ति” मात्र एक “पथ्थर” है !
जाग्रत अधिष्ठायक देवों के प्रभाव से
इस प्रतिमाजी के ५ दिन दर्शन करते ही
“ऊपर” की बाधा” का निवारण हो जाता है.
इस “प्रतिमाजी” के “दर्शन” करने के बाद
कोई नास्तिक भी ये नहीं कह सकता
कि “मूर्ति” मात्र एक “पथ्थर” है !
जाग्रत अधिष्ठायक देवों के प्रभाव से
इस प्रतिमाजी के ५ दिन दर्शन करते ही
“ऊपर” की बाधा” का निवारण हो जाता है.