पिछली पोस्ट तक पढ़ने के बाद ये पता पड़ गया होगा कि “धर्म-शास्त्रों” का लोग जल्दी से जल्दी “फायदा” उठाना चाहते हैं, “मंत्र-विज्ञान” में भी लोगों को “चुटकी” में “रिजल्ट” चाहिए. यदि रिजल्ट ना आये, तो “धमकी” भी देते हैं और प्रचार भी करते हैं कि कि ये सब “बेकार” है.
जबकि “मंत्र-शरण” में आधुनिक युग तभी आता है जब सब जगह से हार गया हो.
इसका ये मतलब साफ़ है कि Case ICU का है और उसे ठीक होने में कुछ समय अवश्य लगेगा. Treatment तुरंत भी काम कर सकता है, रोग ठीक भी जल्दी हो सकता है, पर….शरीर की अशक्ति जाने में तो कुछ समय (15-30 days) अवश्य लगेगा ही.
(इस बात को ध्यान में रखें – जिस समय मंत्र विज्ञान के बारे में विस्तार से discussion हो)
परिवार के एक सदस्य को Last Stage Cancer Declare होने पर पूरा परिवार हैरान होकर, लाखों रूपये खर्च करके भी “पॉजिटिव रिजल्ट्स” प्राप्त नहीं कर पाता फिर भी पब्लिक में ये नहीं कहता कि “ट्रीटमेंट” बेकार है!
ऐसा क्यों है?
क्योंकि वो जाहिर नहीं करना चाहता कि वो वास्तव में “उल्लू” बना है और कैंसर जैसी रोगी जो मेडिकल साइंस से ठीक नहीं भी हो सकते है, फिर भी कीमो लगवाते हैं. जबकि जो कीमो नहीं लगवाते, वो ज्यादा समय निकाल लेते हैं, ऐसा भी देखने में आया है.
किसे ठीक मानें?
यहाँ हमें स्वीकार करना पड़ेगा कि “medical science” अभी तक वहां नहीं पहुंचा जहाँ पहुंचना चाहिए था. अभी तक अनेक बिमारिओं का कोई perfect treatment नहीं है और डॉक्टर्स भी इन Cases को अपना रिसर्च का “साधन” बना लेते हैं और ऊपर से पैसा रोगी के परिवार वालों से वसूल करते हैं.
कहना ये है कि उनके पास “effective presentation” है. मात्र बुखार हो, पर काफी दिनों से उतर ना रहा हो, और आदमी को hospitalize किया जाए, तो तुरंत सबसे पहले glucose bottle चढ़ा दी जाती है और परिवार वाले समझने लगते हैं कि ट्रीटमेंट शुरू हो गया! ऐसा हर जगह नहीं होता, पर उन केसेस में जरूर होता है, जिस रोगी के रोग का इलाज़ संभव नहीं है.
इन सबका नवकार महामंत्र का विराट स्वरुप से क्या सम्बन्ध है, इसके लिए पढ़ें : भाग-४
एक झलक:
जब सारी बिमारिओं का इलाज़ आज भी उपलब्ध नहीं है, तो भी हम डॉक्टरों के पास क्यों जाते हैं?
कारण:- हम कोशिश बंद थोड़ी कर सकते हैं? यही बात एक वैज्ञानिक कहता है. तो फिर “मंत्र-विज्ञान”……