तीर्थंकर और गुरुओ में जमीन आसमान का अंतर:
सिर्फ तीर्थंकर ही कहते है की हर जीव तीर्थंकर बन सकता है .
गुरु ये कभी नहीं कहता की तुम भी गुरु बन सकते हो !
ॐ अर्हम !
यदि “अर्हम ” शब्द को जैन की डिक्शनरी में से निकाल दिया जाय ,
तो Jainism की सारी “building” धरातल पर आ जायेगी .
(फोटो: प्रकट प्रभावी श्री विघ्नहर पार्श्वनाथ ,
श्री आदिनाथ जिनालय , गोपीपुरा , सूरत )