श्री तिजय पहुत्त स्तोत्र
अत्यंत प्रभावशाली इस स्तोत्र का बीजाक्षर मंत्र हैं:
“ॐ हरहुँह: सरसुंस: हरहुँह: तह य चेव सरसुंस:”
इस स्तोत्र में 5 के गुणाकर (multiples) (5,10,15…) से
170 जिनेश्वरों को अद्भुत रूप से
यंत्रित करके नमस्कार किया गया है.
एक समय में अधिक से अधिक 170 जिनेश्वर होते है.
दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ भगवान के समय 170 जिनेश्वर मौजूद थे.
इसी स्तोत्र में साथ ही 16 विद्यादेविओं को भी नमस्कार किया गया है.
जिनकी “स्थापना” उपरोक्त 5 के गुणाकर अंकों के साथ की गयी हैं.
जैन धर्म में “सरस्वती” का स्थान सूरिमंत्र में है.
इसके अलावा 16 विद्यादेवी हैं:
१. रोहिणी
२. प्रज्ञप्ति
३. वज्रशृंखला
४. वज्रांकुशी
५. चक्रेश्वरी
६. नरदत्ता
७. काली
८. महाकाली
९. गौरी
१०. गांधारी
११. महज्ज्वाला
१२. मानवी
१३. वैरोट्या
१४. अच्छुप्ता
१५. मानसी
१६. महामानसी
पोस्ट को २-३ बार पढ़ें, तब कुछ
“सार” ग्रहण हो पायेगा.
और जानने के लिए रोज पढ़ते रहें:
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फोटो:
450 वर्ष प्राचीन
श्री शान्तिनाथजी जैन मंदिर
चोरीवालु देरासर,
जैन देरासर चौक,
चांदी बाजार, जामनगर