होश ठिकाने रखकर पढ़ना
राम मंदिर बनने की खबर से से उत्साहित होने वाले जैनी, जैन मंदिरों का विरोध किस प्रकार की बुद्धि के प्रयोग से करते हैं?
एक तरफ सैकड़ों वर्षों से राम मंदिर के लिए संघर्ष हुआ, अब शुभ परिणाम आया है,
दूसरी ओर जैन धर्म में जिन मंदिर और तीर्थ स्वीकृत होते हुवे भी जैन सम्प्रदायों के कुछ साधुओं ने अपनी मान्यताओं के आधार पर जैन मंदिरों को ही वर्जित किया है!
भगवान को मानना, पर भगवान की मूर्ति को न मानना, उसमें सिर्फ क्रिया देखना, पर क्रिया के पीछे भाव को जान बूझकर न देखना, भक्तों को मनाही करना, मंदिर न जाने की कसमें तक दिलाना
(गुरु को मानना, पर गुरु की मूर्ति हो,
तो उसमें गुरु को न देख पाना सम्भव होगा)?
पर आज उन्हीं जैन मंदिरों का विरोध करने वालों में
राम मंदिर बनने का उत्साह देखना….
कैसा दोगलापन है…🤭
और
कैसी बुद्धि है! 😃
जैन मंदिरों की जैनों द्वारा ही घोर उपेक्षा हो सकती है,
अन्य धर्म का कोई व्यक्ति सोच भी नहीं सकता क्योंकि जगह जगह जिन प्रतिमाएं जमीन में से आज भी निकलती हैं जो जिन प्रतिमा के महत्व को स्पष्ट बताती हैं.
🌹 महावीर मेरा पंथ 🌹