रोग होने पर किसी एलोपैथी डॉक्टर के पास जाएंगे तो वो सबसे पहले सारी रिपोर्ट निकलवायेगा, फिर दवा “लिखेगा,”
होम्योपैथी डॉक्टर के पास जाएंगे तो सारी हिस्ट्री पूछेगा, फिर दवा स्वयं “देगा,”
वैद्य के पास जाएंगे तो वो रोगी की पूरी सुने ना सुने, जो जो मरीज़ ने यदि गलत किया, उसके लिए उसे डांट भी पड़ सकती है, फिर दवा देगा और स्पष्ट बोल देगा इतने दिन दवा लेनी है, दवा बदलेगा नहीं. भले मरीज़ डॉक्टर बदल ले!
एलोपैथी डॉक्टर के पास जितनी बार जाएंगे उतनी बार वो दवा बदलेगा, यदि न बदले तो मरीज़ को लगेगा कि फालतू ही दिखाया. 🤭
प्राकृतिक चिकित्सा और योग गुरु के पास जाएंगे तो उनकी अपनी पद्धति है कि रोग को कैसे ठीक करना है.
कुछ रोग तो दादी मां के नुस्खों से ठीक हो जाते हैं जिनकी बात न मानकर लोग फोकट में इधर उधर के धक्के खाते हैं.
रोग से हार कर, खूब दवा लेने के बाद ठीक न लगे तो रोगी किसी ज्योतिषी के पास जाएगा, वो शनि या मंगल की शांति कराएगा, रोगी को भी शान्ति मिलेगी कि चलो, ये उपाय भी हो गया!
वास्तुशास्त्री के पास जाएंगे तो वो कहेगा कि उत्तर दिशा में खामी है, वो दिशा को ठीक कराएगा और रोगी की दशा ठीक होने लगेगी.
एक्यूप्रेशर वाले के पास जाएंगे तो हड्डियां तोड़ दे, इतनी जोर से ऐसे ऐसे पॉइंट दबायेगा कि रोग भी डर के मारे भाग जाएगा.
रैकी वाले के पास जाएंगे तो वो अपनी शक्ति आपको देने की बात करेगा और आप खुशी खुशी वो शक्ति ले लोगे और रोग बेचारा रोता हुआ चला जाएगा.
कहने का अर्थ ये है कि जिसके पास जाएंगे, रोग निवारण भी उसी पद्धति से होगा.
रोग जानने के लिए सारी रिपोर्ट क्लीन आ जाने के बाद भी रोग खड़ा है तो उपरी बाधा के निवारण के लिए किसी तांत्रिक के पास जाने पर कुछ विचित्र विधियों का सामना करना पड़ सकता है, रोगी ठीक हो न हो, बर्बादी भी मोल ले सकता है, विशेषकर रोगी स्त्री हो तो.
मंत्रज्ञ के पास जाएंगे तो वो मंत्र बता देगा और रोगी चुपचाप रहकर मंत्र पढ़ने लगेगा, रोगी का चित्त भले ठिकाने हो या न हो.
शास्त्रों के आधार पर चलने वाले जैन गुरु के पास जाएंगे तो वो कहेंगे कि भव रोग है, कर्म का उदय है, समता से झेलो, तप आराधना करो और आशीर्वाद देकर चले जाएंगे.
इतने सारे ऑप्शन सिर्फ और सिर्फ मनुष्यों को उपलब्ध हैं. देवों के पास तो सिर्फ धन्वंतरि हैं, पर इसका मतलब रोग तो देवलोक में भी है, वर्ना उसका वहाँ क्या काम?
सार :
मंत्र और स्तोत्र के ऑडियो सुनने से रोग नाश होता है, ये पद्धति सिर्फ Jainmantras.com की इजाद की हुई है. रोग ही नहीं, अनेक प्रकार के कष्ट जैसे घर की अशांति, व्यापार में परेशानी, शिक्षा में दिक्कत आदि भी सिर्फ ऑडियो सुनने मात्र से दूर होते हैं.
रोग ठीक होना तो एक बहाना है, उद्देश्य है व्यक्ति अरिहंत द्वारा प्रतिपादित धर्म से जुड़े और अपना आत्म कल्याण करे.
🌹 महावीर मेरा पंथ 🌹
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