बार बार कहता हूं – ये मनुष्य जन्म बचा लो!
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कल सवेरे आंख खुली देखा तो 5:20 हुवे थे.
कुछ ही देर में Qatar से एक मैसेज आया, covid positive आ चुका था. घबराहट के कारण उसके मुँह से आवाज बंद हो गई थी. घर में मात्र 3 लोग – पति, बेटा और स्वयं.
मन को मजबूत करने के लिए वो ओसीयाँ माता का फोटो देख रही थी और उसी समय मुझे मैसेज किया.
आत्म रक्षा स्तोत्र और अन्य मंत्र सुनने के लिए भेजे और उसने मंत्रित पानी भी पिया.
वहाँ के समय के अनुसार सवेरे लगभग 11 बजे उसे एम्बुलेंस लेने आई तब तक उसकी आवाज़ नहीं निकल पा रही थी. हॉस्पिटल पहुंचने के बाद आश्चर्यजनक रूप से ये कहा गया कि घर पर ही रहो और वहीँ दवा लेती रहो.
ये सुनते ही उसकी जुबान पर पड़ा ताला तुरंत खुल गया.
रोते हुवे फोन किया कि ये सब कैसे हो गया कि एम्बुलेंस मुझे वापस घर छोड़ गई !
सार :
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जिन सूत्र और स्तोत्र रहस्यों से भरे हुवे हैं, हमें पता न होते हुवे भी जबरदस्त असर करते हैं.
दवा में क्या है, हमको कुछ पता होता है?
नहीं न! फिर भी असर करती है न!
तब जिन सूत्र जो सिद्ध पुरुषों द्वारा रचित हैं,
उनके रहस्यों तक तो अभी कोई विरला ही पहुंच सकता है, वो भी स्पर्श मात्र तक!
एक कटु सत्य :
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वर्तमान में परिवार बड़े रहे नहीं, संबल जल्दी से किसी का मिलता नहीं. निःस्वार्थ प्रेम के बिना कहाँ से सम्भव हो? वो भी खास जरूरत के समय दूर बैठे हों, तब कोई क्या करे! सोच कर ही दिल बैठ जाता है.
ऐसी स्थिति में सिर्फ एक ही सहारा है :
“अरिहंत प्रभु का!”
तभी हम बचेंगे और “आत्म उद्धार” के रूप में मिलेगा बोनस!
महावीर मेरा पंथ
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