महावीर स्वामी का जीवन चरित्र सबसे अद्भुत है
1 माता पिता के प्रति प्रेम और आदर,
2 बड़े भाई के प्रति आदर और आज्ञा का पालन,
3 इन्द्र को अपनी सेवा में रहने से मना किया,
4 संगम देव बिना कारण कष्ट देने आया,
5 साधना काल में लोगों ने पत्थर मारे और कुत्ते दौडाये, कानों में कीले ठुके,
6 पर परम शक्ति के साथ परम शांति और समता,
7 प्रथम शिष्य कुपात्र निकला,
8 केवल ज्ञान होने पर भी पहले दिन देशना से किसी को बोध न मिला,
9 पुत्री संघ छोड़ गई और स्वयं तीर्थंकर होते हुवे भी अपने ही जामाता ने इज़्ज़त नहीं दी बल्कि उन्हें गलत ठहराया,
10 भरी सभा में गौशालक ने दो शिष्यों को भस्म किया,
क्या सहन नहीं किया?
कौनसा कष्ट बाकी रहा?
विचार करना,
क्या हम ऐसे कष्ट झेल रहे हैं?
फिर चित्त स्थिर क्यूँ नहीं रहता.
साधना क्यों नहीं करते
सब कुछ जानते हुवे भी!
? महावीर मेरा पंथ ?