ये बड़ा गंभीर प्रश्न है.
ज्योतिषियों के लिए तो बहुत गुस्सा आने वाला भी.
क्योंकि कोई ये मानने के लिए तैयार नहीं होगा कि
ज्योतिष को झुठलाया जा सकता है.
सच में तो ज्योतिष सिर्फ “योग” की बात करता है.
गुरु वशिष्ठ ने भगवान के राज्याभिषेक का मुहूर्त्त निकाला
और राम को मिला वनवास!
और वो भी चौदह वर्ष का!
पिता की मृत्य का कारण भी बना!
राम के साथ सीता और लक्ष्मण को भी वनवास मिला.
निमित्त था : राज्याभिषेक का मुहूर्त्त!
आज तक किसी ज्योतिषी ने उस मुहूर्त्त में भूल निकालने का साहस नहीं किया.
गुरु वशिष्ठ से ऊपर कोई गुरु उस समय कोई नहीं था.
इसका मतलब कुछ बातें “ज्योतिष” से ऊपर होती हैं.
कुछ दिव्य पुरुष “काल” को भी इस प्रकार जीत लेते हैं
कि समय उन पर मार नहीं कर पाता.
शनि, राहु और मंगल दोष की बातें कर के आम आदमी को “डराया” ज्यादा गया है.
आदमी समय की मार से पहले से ही “डरा” हुआ जाता है, ज्योतिषी के पास.
जो व्यक्ति ज्योतिषी के पास “शौक” से जाता है अपना भविष्य जानने के लिए,
वो इतना “सीरियस” होता भी नहीं है, ज्योतिष की बात सुनकर.
आज से 25 वर्ष पहले एक ज्योतिषी ने कहा था :
आप जो सोचेंगे उसका मात्र 30% आपको मिलेगा.
मैंने कहा : ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है!
उसने चकित होकर कहा: इसमें ख़ुशी की बात कहाँ से आई?
मैंने कन्फर्म करने के लिए पुछा: आपने कहा है मैं जो सोचूंगा उसका 30% प्रतिशत मिलेगा, है ना.
उसने कन्फर्म किया.
मैंने कहा : आपके बोलते ही मैंने सोचना 5 गुना ज्यादा कर दिया है. 🙂
जिस समस्या का निदान दुनिया में नहीं होता है, तो भी लोग उसका “हल” (solution) निकालने की कोशिश करते हैं.
ज्योतिष खुद आने वाली समस्या बताता है. फिर निदान भी. भले ही वो पूरे तरीके से काम में ना पाते हों.
इससे मन में कम से कम ये तो नहीं रहता कि हमने कोशिश नहीं की.
ज्योतिष में सबसे महत्त्वपूर्ण है मंत्र विज्ञान.
कर्मकांडी पंडित “मंत्र” का ही तो सहारा लेता है.
1. बच्चे के जन्म के समय बोले जाते हैं मंत्र: (उस समय बच्चा भले ही रोता हो) 🙁
2. शादी के समय बोले जाते हैं मंत्र (सुनता कौन है) 🙂
3. घर के मुहूर्त्त के समय भी मंत्र बोले जाते हैं (पर हवन की गर्मी और धुंवे से हालत ख़राब हो जाती है, ऐसा सभी को लगता है).
4. व्यापार भी मुहूर्त्त देखकर ही शुरू किया जाता है
(और कइयों को तो 3 महीने भी नहीं लगते व्यापार को ताला मारने में).
ये सब कटु सत्य है.
जबकि सबसे बड़ा सत्य ये है कि जैन मंत्र नवकार से बड़ा कोई मंत्र नहीं है.
सामने रखो :पंचपमेष्ठी का यन्त्र,
बिछाओ आसन,
हाथ में लो माला,
और कहो :
जपो रे भाई महामंत्र नवकार
मंत्र बड़ो ही सुखदायी,
महिमा इसकी अपरम्पार,
मंत्र बड़ो ही सुखदायी,
(राग : चलो रे डोली उठाओ कहार…)
घर का हर व्यक्ति यदि रोज नवकार की एक माला गिनता है, उस घर में हर प्रकार का सुख और शांति रहती है. इतना सरल जैन धर्म है.
पर हमें तो रोज कुछ नया चाहिए….इसलिए जन्म से ही उपलब्ध नवकार ना गुण कर…. फुर्सत नहीं है का बहाना बनाकर …रोज नयी नयी मुसीबतें झेलते हैं…आखिर अपनी मर्जी से जीना भी तो मजे से कम नहीं है… 🙂
विशेष: अपनी शंका अवश्य लिखे, यथासंभव संतोषपूर्वक जवाब दिया जाएगा. jainmantras.com ज्योतिष के विरोध में नहीं है, पर ज्योतिष के नाम पर जिस तरह लोगों को डराया जाता है, उसके विरोध में है.