सामान्यतया भूतों की बातें डरावनी होती हैं.
परन्तु
भूत-प्रेत सभी एक से नहीं होते.
इनमें भी अनेक जातियां होती हैं.
स्त्री-पुरुष के भेद इनमें भी होते हैं.
१. भूत :
मृत्यु के बाद जो आत्मा भटकती है, उसे भूत कहते हैं.
ये किसी (स्त्री-पुरुष दोनों) से भी “चिपक” सकती है.
२. प्रेत:
परिवार के द्वारा सताने पर फांसी खाने पर उत्पन्न हुई आत्मा
जिसका कोई क्रियाकर्म ना हुआ हो.
३. वेताल :
ये एक प्रकार का पिशाच है जो श्मशान या उसके पास में आये हुवे पीपल के पेड़ पर उल्टा लटकता रहता है.
ये सफ़ेद होता है और बहुत ही “खतरनाक” मान जाता है. सम्राट विक्रमादित्य ने एक “वेताल” को वश में किया था.
४. हाडल :
किसी का नुक्सान किये बिना भटकती आत्मा
(ज्यादातर इसी प्रकार की प्रेतात्माएँ होती हैं).
५. मोहिनी :
प्रेम में दगा होने पर प्रेमी से दगा लेने वाली भटकती आत्मा
६. चेतकिन :
ये लोगों को प्रेतबाधित करके दुर्घटनाएं करवाती है.
७. शाकिनी :
विवाह के कुछ ही दिनों के बाद दुर्घटना में मरने वाली आत्मा
जो कि कम खतरनाक होती है.
८. डाकन :
ये मोहिनी और शाकिनी से मिलती जुलती है.
ये जीवित स्त्री को अपने वश में करके उसे भी डाकन बनाती है
और जादू-टोना करके सबको हैरान-परेशान करती है.
९. चुड़ैल :
मुसाफिर या एक-दो व्यक्तियों को मार कर उन्हें बरगद के पेड़ पर लटकती है.
ये उत्तर और मध्य भारत में बहुत होती हैं.
चुड़ैल रात को सोये हुवे बच्चों को उठकर ले जाती हैं
और उन पर तंत्र प्रयोग कर के कोई सिद्धि प्राप्त करना चाहती है.
१०. विरिकस :
गाढ़ और लाल घुम्मस में छिपी हुई प्रेतात्मा जो अजीबोगरीब आवाज निकलती है.
११. कुट्टी चेतन :
बालक की प्रेतात्मा को कुट्टी चेतन कहते हैं. इन पर नियंत्रण करके तांत्रिक अपना काम निकालते हैं.
फिल्म “छोटा-चेतन” कुट्टी चेतन पर ही आधारित है.
१२. सकोन घोक्तास :
बंगाल में प्रचलित रेल दुर्घटनाओं में हुई मौत से “बगैर माथे” की भटकती आत्मा.
१३. निशि :
अँधेरे में भटके हुवे लोगों को रास्ता बताने वाली आत्मा.
ये भी बंगाल में प्रचलित है और ये किसी को परेशान नहीं करती.