महावीर मंत्र साधना के अनुभव

[04/05, 09:10] Pune से एक भाई : प्रणाम।
जय जिनेन्द्र।
आज़ का जाप जिंदगी भर याद रहेगा। ?

आज महावीर साधना के समय पहली माला के दौरान हाथी, माला, समुद्र और ध्वजा के दर्शन हुए।

दुसरी माला के दौरान अत्यंत प्रकाशमान पर्वत दिखाई दिया और नगारों की गुंज सुनाई दी। पुर्ण शरीर रोमांचित होता रहा। मेरे से रहा नहीं गया और खड़े होकर नृत्य भी किया।

तिसरी माला के समय प्रभू दीक्षा लेकर जब एक अत्यंत घने जंगल से विहार कर रहे थे, उनके आगे आगे अपने आप रास्ता बनता गया और फुलों की पंखुड़ियां बिछती गई दिखाई दीं।

चौथी माला के समय सिर पर चक्र घूमता महसूस हुआ।

पांचवीं माला के समय आंखों से अश्रु निकले। थोड़ी देर के लिए सब मानो थम सा गया, जाप भी। शुन्यता महसूस हुई।

आज निरंजन की ज्योति भी ऊंची उठती रही।
[05/05, 08:48] Mahendra Nahar Pune: प्रणाम।
जय जिनेन्द्र।

आज महावीर साधना के दुसरे दिन पहली माला के दौरान सजे हुए दो हाथी और अथाह समुद्र के दर्शन हुए। भव्य सिंह के मुख दर्शन भी हुऐ।

दुसरी माला के दौरान अत्यंत प्रकाशमान पर्वत आज फिरसे दिखाई दिया मगर नजदिक से और पुर्ण शरीर रोमांचित होता रहा।

तिसरी माला के समय प्रभू दीक्षा लेकर जब विहार कर रहे थे, मानो उनकी छवि दिखाई दे रही थी, मै उनके पीछे चल रहा था और उनके पुर्ण शरीर के बाहर से आभामंडल दिखाई दे रहा था जिसके प्रकाश में अंधेरा होते हुए भी रास्ता दिख रहा था।

चौथी माला के समय आज फिर से सिर पर चक्र घूमता महसूस हुआ।

पांचवीं माला के समय आज भी थोड़ी देर के लिए सब मानो थम सा गया, जाप भी। शुन्यता महसूस हुई।

जाप के दरमियान बीच-बीच में अत्यंत मनमोहक आंखें मुझे देख रही है ऐसा महसूस होता रहा।

जाप के समाप्ती के थोड़ी देर पहले एक बड़ी दांतों वाला भयानक चेहरा दिखाई दिया मगर डर नहीं लगा।
[06/05, 08:43]
जय जिनेन्द्र।

आज महावीर साधना के तीसरे दिन पहली माला के दौरान सफेद वृषभ के दर्शन हुए और पार्श्वनाथ प्रभु की छवि दिखाई दी।

दुसरी माला के दौरान आकाश से पुष्प वर्षा होती दिखाई दी।

तिसरी माला के समय प्रभू के पीछे कभी देखें नहीं ऐसे विचित्र जीव जाते नजर आए।

चौथी माला के समय आज सिर के मध्य में वजन का भार महसूस हुआ। माला का वजन भी बढ़ा हुआ लगा।

पांचवीं माला के समय एक प्रकाश रेखा दिखाई दी।

जाप के दरमियान बीच-बीच में आंखों से आंसू निकलते रहे।
[07/05, 10:19]
जय जिनेन्द्र।

आज महावीर साधना के चौथे दिन नींद से उठा तो जबरदस्त दंतशूल था। इतना की सहन करना मुश्किल हो रहा था।
जैसे तैसे जाप के लिए बैठा, और थोड़ी देर में ही दंतशूल गायब हो गया।

सभी मालाओं के दौरान आंखों के सामने प्रकाशमय उजाला दिखता रहा।

माला का वजन भी बढ़ा हुआ स्पष्ट महसूस हुआ।

आज ऐसा लगा की मेरे आस-पास कोई है, उसकी हलचल स्पष्ट महसूस होती रही। मगर डर नहीं लगा।
[08/05, 08:33]
जय जिनेन्द्र।

आज महावीर साधना के पांचवें दिन दुसरी माला के समय अत्यंत अद्भुत विमान एक पर्वत पर जाता नजर आया।
उस पर्वत पर जैसे मैं भी मौजूद था।
माला बीच में रोककर अचानक नमुथुणम बोलने का मन बना।

तीसरे माला के समय अचानक से जिंदगी में आज तक जिनसे भी कुछ अनबन हुईं, जिन्होंने मुझे तकलीफ़ पहुंचाईं ऐसे लोग और घटनाएं याद आती गई।
मैने अगर कभी उन्हें बुरा भला कहा हो तो माफी मांगी और माफ़ भी किया। उन लोगों के बारे में मन में जो बुरी भावनाएं थी, निकल गई। अब वह उनका जानें ऐसी भावना बनी।
ऐसा लग रहा है कि अब किसी से भी वैर भाव नहीं रहे, भले कोई और रखें तो रखें और आगे चाहे कुछ भी हो मेरी तरफ़ से मै किसी के साथ वैर भाव रख भी नहीं पाऊंगा ऐसे भाव जागें है।

आज की मालाओं में जाप मणी आगे कर ही नहीं पा रहा था, एक ही मणी पर रूककर जाप करता रहा, जब अहसास होता तब मणी आगे फेरना शुरू करता।

जन्म मरण के फेरों से छुटकारा मिले और मुझे भी मोक्ष प्राप्त हो यह प्रबल इच्छा भी जाग उठी है।

यह साधना करके अद्भुत आनंद और शांति महसूस हो रही है।

अब और आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन की बीनती के साथ महावीर पंथ और आपको बहुत बहुत धन्यवाद।

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