मरते हुवे जीवों को शुद्धता पूर्वक मात्र एक बार नवकार सुना देने से उनकी स्थिति सुधर जाती है, इतना प्रभाव तिर्यंच जीवों पर भी होता है और वो देव गति प्राप्त कर लेते हैं.
स्पष्ट है कि नवकार के “मात्र” घोटे लगाने की जरूरत नहीं है.
पंच परमेष्ठी की आज्ञा का पालन
संपूर्ण अहोभाव से जब तक नहीं है
तब तक परिणाम आएगा भी कैसे?
बारहखड़ी या यों कहें कि Abcd रटने की बात एकदम छोटे बच्चों के लिए सही है, जीवन भर Abcd थोड़ी रटनी है?
अकेले नवकार महामंत्र पर अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं,
आज तक हमने कितने पढ़े या कितने सुने?
सार :
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उत्कृष्ट परिणाम पाने के लिए नवकार की शुरुआत ऐसी हो कि पहला पद बोलने के साथ ही अरिहंत के स्वरूप में हम खो जाएं, ध्यान में लीन हो जाएं, भान आए तब दूसरे पद तक पहुंचें.
दिन में ऐसे कितने नवकार गिन सकेंगे?
महावीर मेरा पंथ