जैन धर्म में मंत्र सिद्धि का उपयोग
जो जैन अपने धर्म से पूरी तरह परिचित नहीं हैं
उन्हें अन्य धर्म के लोग “बगलामुखी” (Baglamukhi) के बारे में
बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं.
“ज्यादातर” इसका प्रयोग
दूसरों को (शत्रुओं को) “सताने” में किया जाता है.
जबकि “जैन धर्म” में ऐसी कोई भी “क्रिया” मान्य नहीं है.
किसी भी “देवी” की ताकत
“देव” से ज्यादा नहीं होती,
देवलोक में एक एक देव की हज़ारों देवियां होती हैं.
इससे भी ये सिद्ध होता है की एक देव की ताकत बहुत ज्यादा होती है.
www.jainmantras.com में “घंटाकर्ण महावीर” का स्तोत्र और मंत्र दिए हुवे ही है,
श्री मणिभद्र वीर और श्री नाकोड़ा भैरव देव के मंत्र भी दिए हुवे हैं.
इसलिए जैनों को इनसे “डरने” की आवश्यकता नहीं है .
परन्तु ये देव भी “मन्त्राक्षर” (Mantrakshar) से बंधे होते हैं.
इसलिए “सिद्ध-पुरुष” की स्थिति इनसे भी ऊँची होती है.
वर्तमान में जैन धर्म में सबसे अधिक प्रभावशाली देवी कौन है?
जानने के लिए पढ़ें:
जैनों की समृद्धि के रहस्य
जैनों की समृद्धि के रहस्य
(Likely to be published: December,16)