बैंक में जितना बैलेंस होता है,
उतना ही चेक पास होता है.इसी प्रकार –
जिसमें साधना का जितना बल होता है
मंत्र उतना ही शक्तिशाली बन जाता है.(वही मंत्र दूसरे के पास हो, जिसने साधना न की हो,
कुछ भी परिणाम नहीं देता).
कुछ लोग बड़े-बड़े मन्त्रों को प्रभावशाली मानते हैं
(इनमें साधू-साध्वी भी बाकी नहीं हैं).
उनसे प्रश्न है:
चेक बुक “मोटी” होने से बैंक बैलेंस बढ़ जाता है क्या?
मूल में:
देव के प्रति श्रद्धा, भक्ति और विश्वास
– ये काम में आते हैं.
यदि अरिहंत (देव) के प्रति “प्रेम” है
तो इन सबकी भी जरूरत नहीं है.
विडंबना:
“अरिहंत” के प्रति “उत्कृष्ट प्रेम” ही प्रकट नहीं होता
जबकि जीवन भर “नमो अरिहंताणं” का जप कर रहे हैं !
केस स्टडी:
व्याख्यान वाचस्पति, शास्त्र के जानकार और लेखक को भी,
“विघ्न न आये”, इसलिए मन्त्र जपते देखा.
उन्हें कहा:
“अरिहंत शरण” होने के बाद भी
“अभयदयाणं” शब्द पर विश्वास नहीं है?
“मंत्र” पर विश्वास करने चले हैं
और उसी “मंत्र देवता” पर विश्वास नहीं है !
हद है !
सार :
हे प्रभु !
आप मुझ पर अपना “प्रेम” बरसा दो,
ये प्रार्थना सबसे बड़ा मंत्र है.
** महावीर मेरापन्थ **