बार बार ये कहा जाता रहा है कि
अनंत भव भ्रमण के बाद
ये दुर्लभ मानव भव मिला है.
चिंतन:
अभी तक के जो अनंत भव किये,
उसका हिसाब और स्मृति हमारे पास नहीं है.
शास्त्र कहते हैं कि संपूर्ण ब्रह्माण्ड में एक भी ऐसी जगह नहीं है,
जहाँ हम पूर्व जन्मों में ना गए हों!
मतलब पूरा संसार घूम कर आ गए
और याद कुछ भी नहीं.
तो फिर प्राप्त क्या हुआ?
यही – इस जन्म का मानव भव!
वो भी जैन कुल में!
यही “चेतना” है
और इसे जगाये रखना है.
यही “जीवन-मंत्र” है.