नवकार का
बीजाक्षर
“णं” है.
(ध्यान की गहराई में ये प्रकट हुआ है)
“मंगलाणं च सव्वेसिं ”
इस पद में भी
बीजाक्षर
“णं” है.
कुछ सम्प्रदाय जैसे दिगंबर और तेरापंथ
“नमो” अरिहंताणं नहीं कहकर “णमो” अरिहंताणं
पद बोलते हैं.
चूँकि “णं” का प्रयोग नवकार में बार बार होता है
इसलिए पूरी श्रद्धा से मात्र एक नवकार भी “गुणे”
(गिने नहीं – गिनना मात्र संख्या पूरा करना है ,
गुणे – गुणना मन के भावों को पहले से अच्छा करना है,
जो “अब तक” किया है )
मात्र एक नवकार गुणने से अच्छा फल प्राप्त होता है,
तो हर श्रावक नवकार को ज्यादा ही गुणना चाहेगा.
विशेष :
“णं” का गहरा और शांतिपूर्वक
उच्चारण करते समय
कुछ “वायु” मुंह से बाहर निकलती है
(जिसे अशुभ कर्म, विचार, अशक्ति वगेरह जानें)
फिर जीभ तुरंत मुंह के “ऊपर के भाग” को टच करती है.
और फिर ध्वनि “नाभि-चक्र” तक पहुँच कर
वापस ऊपर की ओर उठती है.
वो गूँज (ध्वनि)
ह्रदय और गले से होती हुई
वापस मुंह तक पहुँचती है
और वहां से होकर वापस नाभि चक्र में जाकर
“स्थित” हो जाती है.
चूँकि “णं” का उच्चारण
पूरा होने पर मुंह बंद रहता है
इसलिए जो “शक्ति” प्रकट हुई है
वो “साधक” के पास सुरक्षित रहती है.
दूसरे बीजाक्षर ह्रीं, श्रीं इत्यादि अधिकतर मंत्र से पहले लगते हैं.
परन्तु “णं” बीजाक्षर शब्द के अंत में लगता है
जो उस शब्द के प्रभाव को साधक में स्थिर कर देता है.
“णं” के बारे में और जानिये :
नमुत्थुणं सूत्र का भी
बीजाक्षर
“णं” है.
उसमें 44 बार
“णं” का प्रयोग हुआ है.
और भी अनेक सूत्र हैं
जिनमें “णं” बीजाक्षर का प्रयोग हुआ है.
1. करेमि भंते में 7 बार
2. इरियावहियं में 1 बार
3. अन्नत्थ में 14 बार
4. लोगस्स में में 7 बार
5. उवसग्गहरं में 2 बार
6. जय वीयराय में 6 बार
7. कल्लाण कंदं में 5 बार
8. सिद्धाणं बुद्धाणं में 7 बार
9. इच्छामि ठामि में 5 बार
10. नाणंमि दंसणंमि में 6 बार
11. सुगुरु वंदना में 2 बार
12. वंदित्तु में 14 बार
(43 गाथा के अनुसार,
कहीं पर वंदित्तु 50 गाथा का भी है.
इससे ये बात प्रकट होती है कि
जैन धर्म के सूत्रों में “णं” अक्षर का प्रयोग खूब हुआ है.
इस बार संवत्सरी पर्व पर कल्पसूत्र जी का वाचन सुनो
तब गौर करना कि
उसमें “णं” बीजाक्षर का प्रयोग कितनी बार होता है…..
“तेणं कालेणं तेणं समएणं ….”
विशेष:
कृपया इस पोस्ट को बार बार पढ़ें
और हर वाक्य का चिंतन करें,
तब ही लिखी हुई गूढ़ बातें चित्त में बैठ सकेंगी.
सिर्फ पोस्ट पढ़कर विशेष फायदा होने वाला नहीं है.
फोटो : कल्पसूत्र :
हस्तलिपि : सुरेन्द्र कुमार राखेचा