आपका अगला जन्म कैसा होगा?

कुछ कड़वे सत्य : पुनर्जन्म के सम्बन्ध में जैन दृष्टिकोण से

यदि आप अपने “घर” से मोह रखते हो,
तो अगले जन्म में उसी घर में पितरजी या अन्य जानवर या पक्षी
(घर के अंदर या पास रहने वाले) बन सकते हो.
(क्योंकि आपकी “अपने” घर में रहने की इच्छा बाकी जो रह गयी है)

यदि आप गली-मोहल्ले के भेरुंजी को पूर्ण रूप से ध्याते
(पूजा, सवा मणि, प्रसाद-अर्चना करते) हो,
तो अगले जन्म में उनके “दास”
या वाहन (कुत्ता)  बनने की पूरी सम्भावना है.

यदि आप “रामदेवजी” को पूर्ण रूप से ध्याते हो,
तो अगले जन्म में उनके “दास” बनने की पूरी सम्भावना है.
( क्योंकि आप रामदेवजी नहीं बन सकते )!

 

यदि आप गुरुओं को पूर्ण रूप से ध्याते हो,
तो अगले जन्म में मनुष्य या देव बनने की पूरी सम्भावना है.
(उन्हीं के गुरु मंदिर में अधिष्ठायक देव भी बन सकते हो).

याद रहे – आप गुरु नहीं बन सकते –
जिसको ध्याओगे उससे ऊपर नहीं उठ सकोगे.

यदि आप जिनमंदिर या तीर्थ को “पूर्ण रूप” से ध्याते हो,
तो  अगले जन्म में उस तीर्थ में अधिष्ठायक देव बनने की पूरी सम्भावना है.

यदि आप अरिहंतों को “पूर्ण” रूप से ध्याते हो,

 

तो अगले जन्म में वापस
मनुष्य, देव या इंद्र
बनने की पूरी सम्भावना है
और
साथ ही मोक्ष मार्ग भी नज़दीक  होगा.

क्योंकि सिर्फ अरिहंत ही ये कहते है कि “मेरे बताये मार्ग पर चलने पर तुम मेरे जैसा (अरिहंत) भी बन सकते हो.”

चेक करो :

आप किस को ध्याते हो.

 

फोटो :

श्री “मनमोहन” आदिनाथ भगवान,
श्री पालिताना तीर्थ रचना, गोपीपुरा, सूरत

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