नवकार मंत्र की प्रभावकता : भाग 5

पहले नवकार मंत्र की प्रभावकता भाग 1-4 पढ़ें.

नवकार अनादि काल से चल रहा है.
इसके रचयिता (author) को बताना ऐसा ही है कि पहले कौन -अंडा या मुर्गी?

नवकार में सीधी बात “मोक्ष” की है, क्योंकि नवकार गुणने  से पाप नष्ट होते है, पर कब?

जब मन में “सभी पांच परमेष्ठी” को नमस्कार करने का भाव हो तब.

“मोक्ष” तभी प्राप्त होगा, जब हमारे मन में किसी के “भी” प्रति राग-द्वेष न रहे. यानि सभी इच्छाएं ना रहे.

 

अरे! मोक्ष प्राप्त करने की भी इच्छा ना रहे, तब!

मतलब “आत्मा” “है,” – इसी पर समाधि लगे तब!

“पूरे” “नव स्मरण” से भी अधिक प्रभावशाली “नवकार” है, इसमें कोई शंका नहीं है.

नव-स्मरण की रचना भी “नवकार” से ही हुई है. जब सारे 14 पूर्वों का सार ही नवकार है, तो फिर “नव-स्मरण” ना हो, हो ही नहीं सकता.

पर “नव-स्मरण” Specific Treatment है.

“नव-स्मरण” में पहले बात “शरीर” पर आये उपसर्ग, कष्ट, व्याधि इत्यादि दूर करने की और मन में प्रसन्नता लाने की  है जिससे “श्रावक” “शुद्ध ” मन से “मोक्ष” मार्ग में आगे बढ़ सके. इसलिए नवस्मरण में भी लक्ष्य तो “भव-पार” करने का ही है. जैन धर्म में जितनी भी “साधनाएं” हैं उनका पहला और अंतिम लक्ष्य  “मोक्ष” की ओर ही ले जाना है.

 

सांसारिक सुख तो बीच के अच्छी सुविधा वाले स्टेशन है, सांसारिक दुःख मानो इंजन बिगड़ गया हो और गाडी रुकी हुई हो. “नव-स्मरण” दूसरे रूट से “मोक्ष” मार्ग पकड़ता है. यदि कोई समझे की ये रास्ता तो बहुत बढ़िया है, नया है, और फिर नवकार पर ज्यादा श्रद्धा ना रखे, ना गिनना चाहे, तो समझें कि “मूल” छोड़ दिया और “फल” की और ताकने लगे. (“मूल “Roots” के बिना फल कैसे लगेंगे)?

क्योंकि जैन धर्म का मूल तो नवकार ही है.

“मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवई मंगलं ”
इन दो पदों में “मंगल” शब्द दो बार आया है.

 

Check Point :
यदि नवकार से बढ़कर कुछ हो, तो नवकार के सबसे प्रथम मंगल की बात ही असत्य हो जाती है. ये हो नहीं सकता. क्योंकि जैन धर्म शुरू ही नवकार से होता है, और पूरा भी वहीँ पर होता है. (इस सम्बन्ध में पहले वाली पोस्ट्स पढ़ें. – नवकार मंत्र की प्रभावकता भाग 1-4).

“नव-स्मरण” में भी पहला “स्मरण” तो नवकार का ही है.

Sixer:

“नव-स्मरण” में बात आती है – “स्मरण” की!
बार बार “स्मरण” (याद आना /करना) उसी का होता है, जिस पर बहुत प्रेम हो!

क्या हमें “नवकार” और “नव-स्मरण” पर भी उतना ही प्रेम है?

 

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