जैन मन्त्रों की महिमा : ऋण मुक्ति और अशुभ कर्म झटके से तोडना
सर्वप्रथम स्नान करें.
फिर वासुपूज्य स्वामी के मंदिर में दर्शन करें
( पूजा करना और भी श्रेष्ठ है )
या
घर पर श्री वासुपूज्यस्वामी की मूर्ति या फोटो लगाकर
१. दीपक करें
२. एकदम सुगन्धित अगरबत्ती करें.
३. मन में प्रसन्नता लाये.
फिर नीचे लिखा श्लोक मात्र एक बार ही बोलें:
“सर्वदा वासुपूज्यस्य
नाम्ना शान्तिम् जय श्रियं
रक्षा कुरु धरासुतो
अशुभोSपि शुभ भव: ||
फिर इस मंत्र को रोज मात्र बारह बार बोलें:
(हथेली में उंगलिओं में जो १२ जोड़ हैं, उन पर)
ॐ ह्रीं श्रीं भौमाय पूजिताय
श्री वासुपूज्यस्वामिने नमः ||
मंत्र पूरे एकाग्र चित्त से गिनें.
ये मंत्र :
१. शांति प्रदान करता है.
(इसका अर्थ बहुत गंभीर है.
जिस पर कर्जा हो, वो शान्ति में कैसे जी सकता है?
परन्तु मंत्र प्रभाव से वो शान्ति से जीयेगा.
शान्ति से तभी जीयेगा जब ऋण से मुक्ति होगी.
मतलब ऋण से मुक्ति इस मंत्र के प्रभाव से हो जाती है).
२. हर कार्य सिद्ध करता है.
३. रुका हुआ पैसा आता है.
४. शत्रु/सरकार/कोर्ट केस में रक्षा करता है.
सबसे विशेष:
५. अशुभोSपि शुभ भव:
जो अभी अशुभ दिख रहा है,
वो शुभ में कन्वर्ट हो जाएगा.
कैसे?
मानो मुझे सूरत से मुंबई बहुत अर्जेंट काम से जाना था.
२ मिनट लेट होने के कारण गाडी छूट गई.
क्या हुआ – अशुभ!
२ घंटे बाद पता पड़ा कि गाडी का एक्सीडेंट हो गया!
अब क्या हुआ : शुभ!
अशुभ को शुभ बनाने में मैंने कुछ किया?
मतलब मंत्र ज्ञान वहां से शुरू होता है
जहाँ बुद्धि काम करना बंद कर देती है.
इस मंत्र का और सबसे बड़ा फायदा है:
जो काम आप सोचते हो कि करना है
और ना होता है…..
तो आप ये सोचने लगते हो :
जो मेरे लिए अच्छा नहीं है
वो अपने आप नहीं हुआ.
विशेष:
वासुपूज्य स्वामी का रंग लाल है.
मंगल का रंग भी लाल है.
मंगल भूमि पुत्र है.
मंगल ग्रहों का सेनापति है.
मंगल शुभ और अशुभ दोनों का फल बहुत फ़ास्ट देता है.
(भूकम्प में मंगल ही कारक ग्रह है – क्योंकि ये भूमि से सम्बंधित है).
भूमि शुद्धि के लिए वास्तु देखा जाता है.
वासुपूज्य स्वामी का नाम जहां लिया जाता है
वहां वास्तु दोष नहीं रहता.
फोटो:
श्री वासुपूज्यस्वामी, चम्पापुरी
(जहाँ उनका जन्म हुआ था)