“ध्यान” को “ध्यान” से “जानो”-1

“ध्यान” के लिए लोग “आँखे” बंद करते हैं “अंदर” देखने के लिए!

प्रश्न:
क्या अंदर देखने के लिए आँखें बंद चाहिए?
यदि ऐसा है, तो “नींद” लेने से पहले क्या “ध्यान” करना चाहिए क्योंकि उस समय तो सभी को आँखें बंद करनी ही होती है?
उत्तर :
हाँ, नींद लेने से पहले भी काफी लोग “ध्यान” करते ही है, क्योंकि नींद भी तभी आती है जब सब “शांत” हो गया हो. नींद लेने से पहले “ध्यान” करने से स्वप्न भी अच्छे आते हैं.

 

प्रश्न:
परन्तु ऐसा कहा जाता है की उठते ही “ध्यान” करना ज्यादा अच्छा है.
उत्तर:
सही बात है, जो उठते ही “ध्यान” करे तो “दिन भर” अच्छा रहता है. 3 साल में तो सारा “नक्शा” बदलने लगता है – खुद का भी और घर का भी.

प्रश्न: पर ध्यान किसका करें?

उत्तर: “इसके” लिए भी “ध्यान” कर सकते हैं.

 

समस्या:

परन्तु जैसे ही “ध्यान” के लिए बैठते हैं कि कई “मेहमान” (ऐसे ऐसे “विचार” जो बिना विचारे  आ जाते हैं)
एक साथ आ जाते हैं और सारा टाइम “waste” हो जाता है.
“मेहमान” को बड़े “मान” से रखना जो होता है. 🙂

ध्यान की शुरुआत नींद लेने से पहले बिस्तर पर भी की जा सकती है.
ध्यान लगा तो ठीक और नींद आ गयी तो ठीक. (Win Win Situation) 🙂
आप देखेंगे कि नींद ही बहुत जल्दी आ जायेगी.

कई लोगों के साथ “उल्टा” होता है. वो नींद लेना चाहते हैं और नींद नहीं आती.
इसका सीधा कारण है : बहुत के प्रश्नों का जवाब उन्हें दिन भर नहीं सूझता.
जो जवाब “बुद्धि” देती है उस पर ““श्रद्धा” नहीं होती और
जो जवाब उनकी “श्रद्धा” देती है वो “बुद्धि” स्वीकार नहीं करती.

 

“ध्यान” करने से पहले अपने से कुछ “प्रश्न” पूछो:

१. मुझे ध्यान क्यों करना है?
उत्तर: “शान्ति” “पाने” के लिए!

आगे पढ़ें :”ध्यान” को “ध्यान” से “जानो”-2

error: Content is protected !!