1.स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए:
पहले ७ बार ये पढ़ें:

श्री तीर्थंकर गणधर प्रसादात् एष: योग: फलतु
सद्गुरु प्रसादात् एष: योग: फलतु ||

 

फिर १२५०० जाप करें:

ॐ ह्रीं चउदसपुव्वीणं
ॐ ह्रीं पयाणुसारिणं
ॐ ह्रीं एगारसगंधारिणं
ॐ ह्रीं उज्जुमइणं
ॐ ह्रीं विउलमइणं स्वाहा ||

 

जाप पूरा होने पर “शक्तिनुसार” श्रुत-भक्ति में दान देवें.
(अपनी शक्ति को जानकर उसी अनुसार उदार मन से दान देवें,
उसमें कंजूसी ना करें).

रोज की एक माला फेरना अवश्य “चालू” रखें.
जीवन भर बंद ना करें.

तभी विशिष्ट स्मरणशक्ति प्राप्त होगी.

 

2.विशिष्ट विद्याप्राप्ति का मंत्र

पहले ७ बार ये पढ़ें:
श्री तीर्थंकर गणधर प्रसादात् एष: योग: फलतु 
सद्गुरु प्रसादात् एष: योग: फलतु || 

फिर १२५०० जाप करें:

ॐ ह्रीं बीय बुद्धिणं
ॐ ह्रीं कुट्ठणं
ॐ ह्रीं सम्भिन्नसोयाणं
ॐ ह्रीं अक्खीण महाण सलद्धिणं
नम: स्वाहा ||

 

जाप पूरा होने पर “शक्तिनुसार” श्रुत-भक्ति में दान देवें.
(अपनी शक्ति को जानकर उसी अनुसार उदार मन से दान देवें,
उसमें कंजूसी ना करें).

रोज की एक माला फेरना  अवश्य “चालू” रखें.
जीवन भर बंद ना करें.

तभी विशिष्ट विद्या जरूर मिलेगी.

 

3.रोग-निवारक मंत्र:
पहले ७ बार ये पढ़ें:
श्री तीर्थंकर गणधर प्रसादात् एष: योग: फलतु 
सद्गुरु प्रसादात् एष: योग: फलतु ||

फिर १२५०० जाप करें:
ॐ नमो विप्पो सहि पत्ताणं
ॐ नमो खेलो सहि पत्ताणं
ॐ नमो जलो सहि पत्ताणं
ॐ नमो सव्वो सहि पत्ताणं
नम: स्वाहा ||

 

फिर रोज एक माला फेरें.
रोग सम्पूर्ण समाप्त होने पर माला फेरना बंद कर दें.
जाप के दौरान “ब्रह्मचर्य” का पालन करें.
भोजन में कंद-मूल का प्रयोग ना करें.
रात्रि भोजन ना करें.
गौतम गणधर और माँ सरस्वती की प्रतिमा रखें
(फोटो रखने पर सामान्यतया वो भाव नहीं आ पाते).
जो समय निश्चित करें, उसी समय पर रोज जप करें.
अखंड दीपक और धूप दीप करें.
जप सफलतापूर्वक पूरा होने पर उत्सव मनाएं.
साधर्मिक भक्ति करें.

error: Content is protected !!