मंत्र जप में पूर्ण शुद्धता का होना
अत्यंत आवश्यक है.
एक बिंदू की भूल भी नहीं चलेगी.
मंत्र ऐसे भी बहुत छोटा होता है,
“बीज” अक्षर वाले मंत्र तो और भी छोटे होते हैं.
यदि उनका जप करते समय छोटी सी भूल भी हो,
तो वो “ब्लंडर” होगा.
जैसे “सिद्धाणं” को
सद्धाणं, सिद्धनम् , इत्यादि
अशुद्ध बोलने से
किया गया नमस्कार “सिद्ध” तक नहीं पहुंचेगा
और ना ही कार्य “सिद्ध” होगा.
जिस प्रकार
Jainmantras.com में
सिर्फ (.) ना लगाकर
jainmantracom लिखा जाय,
तो वो साइट ही नहीं खुलेगी.
इसलिए मंत्र जप करने से पहले गुरु या मन्त्रज्ञ से
मंत्र दीक्षा लेनी चाहिए.
मतलब वो मंत्र बोले और आप उच्चारण करते जाएँ.
गुरु के मन की जितनी प्रसन्नता होगी, मंत्र उतना जल्दी फलेगा.
ध्यान रहें मंत्र दीक्षा लेते समय गुरु व्यस्त ना हों
और जल्दबाजी में मंत्र दीक्षा ना दें.
विशेष :
बहुत से लोग
ह्रीं, श्रीं इत्यादि का उच्चारण
१००% सही नहीं करते.
ये बीजाक्षर हैं,
बीज ही सही तरह से नहीं बोयेंगे
तो पेड़ कैसे लगेगा और फल कैसे प्राप्त होगा.
मंत्र जप करते समय और भी बहुत सी बातों का ध्यान रखना होता है.
हर पोस्ट को अच्छी तरह 2-3 बार पढ़ते रहें.