ऐसे गुनें नवकार
अपने चारों और नवकार की ध्वनि गूंजे
– ऐसा विचार रखें.
(यही विचार “ध्यान” में परिवर्तित हो जाएगा).
स्मरण करते समय
नवकार के ऐसे “चक्र” के बीच में स्वयं को रखें.
इससे अपना सुरक्षा चक्र मजबूत होगा
और अशुभ तत्त्व पास में भी नहीं फटकेंगे.
विशेष:
******
नवकार की “ध्वनि” स्पष्ट हो
मन में “आनंद” हो
“अरिहंत” के प्रति प्रथम समर्पण हो.
इस प्रकार जाप करेंगे तो
हर दिन नया अलौकिक अनुभव होगा.
आज ही “प्रयोग” करें और
अपने “अनुभव” शेयर करें.
इस प्रकार जप किये बिना कोई प्रश्न ना करें.
jainmantras.com