मंत्र विज्ञान पर बहुत सी पुस्तकें छपी हुई मिलती हैं. 50 रुपये से लेकर 500-1000 रुपये तक की.
खूब सारे मंत्र एक ही जगह मिल जाएंगे और “मुफ्त” में अशुद्धियाँ भी भरपूर मिलेंगी.
तंत्र-मंत्र-यन्त्र खूब छापे जाते हैं क्योंकि ये पुस्तकें खूब बिकती हैं. यद्यपि तंत्र के बारे में बहुत कम छपा है. जो छपा है वो किसी काम का नहीं है.
शंका:
तो क्या जो सिद्ध मंत्र या यन्त्र का दावा करते हैं वो किसी काम के नहीं हैं?
उत्तर:
मैनेजमेंट की पुस्तक पढ़ लेने से या उसका रट्टा मार लेने से क्या मैनेजमेंट आ जाता है क्या?
उत्तर है : नहीं.
शंका:
तो क्या मंत्र-तंत्र की सारी पुस्तकें बेकार हैं?
उत्तर:
क्या मैनेजमेंट की सारी पुस्तकें बेकार होती है?
नहीं ना!
शंका:
कुछ समझ में नहीं आया.
उत्तर:
मंत्र विज्ञान समझने का नहीं, अधिकार देने और लेने का है.
दो मिनट रूककर जरा पूरी पोस्ट को दोबारा पढ़ो.
अब नीचे लिखे प्रश्नों का उत्तर दो:
1. दूसरे आदमी की चेक बुक आपके पास है, आपके साइन उस पर चलेंगे क्या?
2. आपकी चेक बुक आपके पास है, बैलेंस नहीं है, आपका चेक पास हो जाएगा क्या?
उत्तर है : नहीं (सभी जानते हैं).
अब आगे पढ़ें:
आपने किसी पुस्तक से कोई जोरदार समझा जाने वाला “मंत्र” “उठाया.”
उसे पढ़ना चालू किया. जप करना भी शुरू किया.
सवा लाख का जाप करने पर भी वो सिद्ध हो जाएगा क्या?
शंका:
तो क्या जप किया हुआ बेकार होगा?
उत्तर:
“चोरी” किये हुवे धन को 10-20 साल बीतने के बाद “ये हमाराधनहै,” कह सकेंगे?
आपका मन गवाही देगा?
“जबरदस्ती” कब्ज़ा तो लुटेरे करते हैं.
अब इस पर चिंतन करो.