10-11-2015 मंगलवार के दिन सिद्धियोग युक्त काली चौदस है.
ये “शक्ति–उपासना” के लिए अति महत्त्वपूर्ण है.
इस दिन भगवतीपद्मावती या घंटाकर्णमहावीर का जाप करना.
(पुरुषों को दोनों जाप एक दिन ही नहीं करना, कोई भी एक का ही करना – पद्मावती का या घंटाकर्ण महावीर का.
बहनें “घंटाकर्ण महावीर” का जाप ना करे. सिर्फ दर्शन किया करें.
आजकल “होड़” (equal human rights) में कुछ साध्वीजी भी “माणिभद्र वीर” के हवन में रात्रि को बैठती हैं. इसका बहुत “ख़राबरिजल्ट” आता है. प्रत्यक्ष अनुभव है. “सरस्वती” की साधना करने वाली और उनसे प्रत्यक्ष बात करने वाली साध्वीजी भी इस “लोभ” से बच नहीं सकीं और 1.5 महीने बुखार में पड़ी रही. साथ वाली कोई भी साध्वीजी उनके पास आने को तैयार नहीं हुई. हॉस्पिटल में अकेले ही रहना पड़ा. क्योंकि जब से हवन में भाग लिया था, तब से उन्हें “आत्माएं” दिखती थी. आखिर में “उवसग्गहरंस्तोत्र” से तीन दिन में ही वो बुखार भाग गया).
पद्मावतीकामंत्र:
- जो लोग जीवन में पहली बार जाप कर रहे हैं:
ॐ ह्रीं श्रीँ पद्मावती पद्म नेत्रे पद्मासने लक्ष्मीदायिनी वाञ्छापूर्णि मम ऋद्धिम् सिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ||
2. जो लोग कुछ समय/वर्षों से जाप करके कुछ “प्राप्त” कर चुके हैं :
ॐ ह्रीं श्रीँ पद्मावती पद्म नेत्रे पद्मासने लक्ष्मीदायिनी वाञ्छापूर्णि मम ऋद्धिम् वृद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ||
(यदि आप वर्षों से पद्मावती का कोई अन्य मंत्र जाप करते हों और वो मंत्र आपको किसी साधू साध्वीजी जी ने दिया है जिन्हें सिद्धि प्राप्त हो, तो वही मंत्र चालू रखें, बदलेंनहीं).
जैन मंत्रों में घंटाकर्ण महावीर की साधना सबसे बलशाली है. कइयों को तो घंटाकर्ण महावीर के दर्शन करने से ही “डर” लगता है. जिनके मन में भावना अच्छी नहीं होती, उन्हें ही घंटाकर्ण महावीर से डर लगता है.
✫ श्री घंटाकर्ण महावीर सिद्धिदायक चमत्कारिक स्तोत्र✫
(उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध करना आता हो तो ही पढ़ें, अन्यथा दूसरे से ही एक बार सुन लें. ये भी व्यवस्था ना हो तो भक्तिपूर्वक “नमस्कार” करके नीचे लिखा मंत्र जप करें)
ॐ घंटाकर्णो महावीरः
सर्वव्याधि-विनाशकः।
विस्फोटक भयं प्राप्ते,
रक्ष-रक्ष महाबलः ॥1॥
यत्र त्वं तिष्ठसे देव!
लिखितोऽक्षर-पंक्तिभिः।
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति,
वात पित्त कफोद्भवाः ॥2॥
तत्र राजभयं नास्ति,
यान्ति कर्णे जपात्क्षयम्।
शाकिनी-भूत वेताला,
राक्षसाः प्रभवन्ति नो ॥3॥
नाकाले मरणं तस्य,
न च सर्पेण दृश्यते।
अग्नि चौर भयं नास्ति,
नास्ति तस्य प्यरि-भयं ॐ ह्वीं श्रीं घंटाकर्ण ||४||
ऊपर वाला स्तोत्र पढ़ने के बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें:
घंटाकर्णमहावीर का मंत्र :
ॐ घंटाकर्णमहावीर नमोस्तु ते ठः ठः ठः स्वाहा।
(अन्य जगह मंत्र जप संख्या दी हुई है, jainmantras.com बार बार आपसे अनुरोध करता है कि “संख्या” पर ना जाए, जितनी देर आनंदपूर्वक जप कर सकें. उतनी देर ही करें).
फोटो (by SKR) :
श्री घंटाकर्ण महावीर,
श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ, डुमस रोड, सूरत