JoinedJuly 3, 2020
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“ध्यान और स्वप्न” में जिन्हें “एक बार” भी प्रभु दर्शन हुवे हैं, वो शीघ्र मोक्षगामी हैं. ऋषिमंडल स्तोत्र में स्वयं...
भव आलोचना- स्वयं के गुरु बने रहने का प्रोपेगैंडा (जीवन भर उन्हें ही याद करते रहना) कुछ गुरुओं द्वारा भरी...
होश ठिकाने रखकर पढ़ना राम मंदिर बनने की खबर से से उत्साहित होने वाले जैनी, जैन मंदिरों का विरोध किस...
(धन की कमी, धंधा रोजगार, घर में अशांति, मैली विद्या, शत्रु से परेशानी, पैसे फंसने, शादी होने से पहले और...
जैन धर्म में पांच परम इष्ट हैं – अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधू. आत्म रक्षा स्तोत्र में किसी व्यक्ति...
shrut gyan
अधिकतर लोग “मतिज्ञान” तक ही सीमित होते हैं शास्त्र का “उपयोग” क्या है, उसे स्वीकार नहीं करते, क्योंकि वहां तक...
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