यदि जैन सूत्रों के बारे में नहीं जाना और धर्म के नाम पर जीवन कला और जीवन कला के नाम...
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जैन धर्म का सूक्ष्म विश्लेषण: अहं और अर्हं में मात्र “र् ” का अंतर है. “र” अग्निबीज है जो...
“उवसग्गहरं” स्तोत्र कुछ लोग रोज इसे 27 बार गिनते हैं. फिर भी “समस्याओं” का वो समाधान नहीं मिलता जो मिलना...
धन्य है धन्य !! ९३ वर्षीय संघनायक लब्धिधारी श्री राजतिलकसूरी जी! वर्षीतप अपने आप में दुष्कर है, और ये महातपशिरोमणि...
जिसकी रचना अनंत लब्धिधारी श्री गौतम स्वामीजी ने अष्टापद महातीर्थ पर की है. जगचिन्तामणि जगनाह जगगुरु जगरक्खण जगबंधव जगसत्थवाह जगभावविअक्खण...
श्री बप्पभट्ट सूरी : गुरु द्वारा दिए गए मंत्र जप में इतने लीन हो गए कि स्वयं सरस्वती उसी...
अति सुन्दर और चमत्कारी रोज लगभग ५००० श्रद्धालु दर्शन करते है . श्री सहस्त्रफ़णा पार्श्वनाथ भगवन गोपीपुरा , सूरत ....
प्रश्न: “सर्व धर्म एक समान” की बड़ी बड़ी बात करने वाले “सर्व पंथ एक समान” ना बताकर अपने को दूसरे समुदाय से बड़ा...
1. तीर्थंकर का मतलब जो “तीर्थ” की स्थापना करते हैं. 2. “तीर्थ” का मतलब : जो तारे. 3. तरने का...
भगवान पार्श्वनाथ की जितनी भी प्रतिमाजी विद्यमान है वो सामान्यतया 7,9,11 या 13 फणों में है, कुछ बहुत प्राचीन प्रतिमाजी...