jain shravak

एक श्रावक का जीवन

अपनी सुविधा और बुद्धि-विवेक के
बल पर ये करे:

1 धर्म क्रिया
2 धर्म सम्बन्धी ज्ञान की वृद्धि
3 ज्ञान का उपयोग
4 ज्ञान की सुरक्षा

5 धन उपार्जन
6 धन की वृद्धि
7 धन का उपयोग
8 धन की सुरक्षा

9 परिवार का पोषण
10 संस्कारों का सिंचन
11 प्रेम का वातावरण

12 समाज के प्रति कृतज्ञता
13 सामाजिक उत्थान
14 सामाजिक चेतना

यदि इनमें बैलेंस नहीं है तो
——————————

– जीवन में पैसा होगा,
पर स्वास्थ्य नहीं होगा,
संस्कार नहीं रहेंगे
(झूठी इज्जत मिल सकती है).

– समाज में इज्जत मिल सकती है
पर घर वाले ही नहीं सुनेंगे.
(घर में इज्जत नहीं रहेगी).

– धर्म क्षेत्र में अनुमोदना मिल सकती है
पर बिज़नेस पर ध्यान ना देने के कारण
घर वाले नाराज रह सकते हैं.

ऊपर की बातों से एक “श्रावक” की साधना कैसे हो,
इसका अंदाज आ गया होगा.

महावीर मेरापन्थ

error: Content is protected !!