meditation power, mann ki baat

चिंतन कणिकाएं-1

सोच का कमाल
यदि आप सोचते हो कि आप सुखी हो,
तो आप सही हो.
यदि आप सोचते हो कि आप दुखी हो,
तो आप गलत नहीं हो. 

 

पाप कर्म

जिन लोगों को “पाप कर्म” अच्छे लगते हैं,
उनसे दूर ही रहें.
भूलकर भी ये “शब्द” मुंह से ना बोलें-
“आजकल अच्छे आदमी का जमाना नहीं है”
ऐसा कहकर आप खुद ही लोगों को
“बुरा” बनने का अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देते हो.

 

पानी और घी : 

“पानी को घी” समझकर उपयोग करो
– ये भगवान् महावीर के वचन हैं.
हम तो शादियों में “घी” भी
पानी की तरह बहा देते हैं,
(पानी तो क्या चीज है).
नतीजा:
आज पानी की बहुत कमी है
और “घी” “पचाने” की शरीर में ताकत ही नहीं रही.

 

हमारी “वक्र-बुद्धि” 
सरल बातें
झटपट स्वीकार नहीं करतीं.
और टेढ़ी बात उसे
समझ में आती नहीं.

 

गुरु और भक्त
“गुरु” से भक्त-गण जो प्रश्न पूछते हैं
उनका “उत्तर” भक्तों के काम का नहीं होता
क्योंकि “गुरु” जो कहते हैं
वही उन्हें “मान्य” नहीं होता.

 

सुख चाहते हो?
“बीता हुआ सुख”
बहुत ज्यादा दुःख
देता है.

 

“गुरु” की खोज की अपेक्षा
यदि “स्वयं” की खोज करें,
तो “इस जमाने” में
ज्यादा “उपलब्धि” प्राप्त होगी.

 

“सम्पूर्ण जाग्रति” में “ज्ञानी” बोलता है
ज्ञान की बातें,
उन लोगों को
जो “सुनना ” चाहते हैं.
जो सुनना नहीं चाहते,
उन्हें वो जबरदस्ती कभी नहीं सुनाता
(सुनने का “बहाना” बनाने वाले कुछ लोग तो उस समय “सोते” हैं).
“अज्ञानी” का बोलना
उसका “नींद” में बोलने जैसा है,
जो हंसी का पात्र बनता है.
लोग जब हँसते होते हैं,
उसे तब भी उस बात का पता नहीं होता
क्योंकि वो खुद तो नींद में बोल रहा होता है.

 

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