“ध्यान और स्वप्न” में जिन्हें “एक बार” भी प्रभु दर्शन हुवे हैं, वो शीघ्र मोक्षगामी हैं.
ऋषिमंडल स्तोत्र में स्वयं भगवान महावीर ने फरमाया है कि जो ये स्तोत्र नित्य पढ़ता है उसे 8 महीने बाद प्रभु दर्शन स्वप्न में स्वत: ही होते हैं.
ऋषिमंडल स्तोत्र पढ़ना हर किसी के लिए सम्भव नहीं क्योंकि पात्रता बिना शब्द ही नहीं उठते, हर किसी से शुद्ध उच्चारण नहीं हो पाता, इसके शब्द इतने क्लिष्ट हैं.
जो उच्चारण कर पाते हैं,
वो भाव रहित देखने में आते हैं.
अहोभाव तो बहुत दूर की बात है.
विशेष :
जो वर्षों से ध्यान या जाप कर रहे हैं परंतु ध्यान या जाप के समय उन्हें प्रभु दर्शन नहीं हुवे हैं, ऋषि मंडल स्तोत्र जिन्हें सुलभ नहीं हैं, अपने स्थान पर गुरुओं का चातुर्मास भी नहीं होता,
उनके लिए “प्रभु दर्शन” की सुलभ व्यवस्था जिन शासन ने जैन मंदिरों के माध्यम से की है, अब कोई अपनी मान्यताओं के कारण जैन मंदिर ही ठुकरा बैठे हों, तो उनकी बुद्धि को क्या कहें!
🌹 महावीर मेरा पंथ 🌹
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